रुद्राक्ष का सीधा संबंध भगवान शिव से है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसू से हुई थी. धार्मिक दृष्टि से रुद्राक्ष का अपना विशेष महत्व है. वैसे तो रुद्राक्ष को किसी भी दिन धारण किया जा सकता है लेकिन सावन के महीने में लोग इसे धारण करते हैं. ज्योतिष शास्त्र में इसके कई फायदे बताए गए हैं. कहा जाता है कि जिस पर भगवान शिव की कृपा होती है वो ही रुद्राक्ष को धारण करता है.
काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित उमेश मिश्रा ने बताया कि रुद्राक्ष शरीर के कवच के रूप में काम करता है. सावन के महीने में इसे धारण करना और भी शुभ माना जाता है. रुद्राक्ष जीवन में आने वाले कई तरह के बाधाओं को दूर करता है.रुद्राक्ष को बेहद प्रभावशाली माना गया है. इसे पहनने से जीवन में उन्नति और एकाग्रता प्राप्त होती है. साथ ही किसी भी प्रकार का डर दूर होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर होता है उन्हें यह रुद्राक्ष धारण करना चाहिए. इसके साथ ही आंखों के विकार, हड्डी की परेशानियां और बीपी जैसी समस्याओं में भी यह लाभकारी सिद्ध होता है.
नेगेटिव ऊर्जा को करता है समाप्त
पंडित उमेश मिश्रा ने बताया कि इसके अलावा रुद्राक्ष धारण करने से शरीर और मन शांत होता है .अक्सर जिन्हें बेवजह गुस्सा आता है उन्हें रुद्राक्ष जरूर धारण करना चाहिए .रुद्राक्ष नेगेटिव ऊर्जा को समाप्त करने के लिए भी बेहद कारगर है.
ध्यान साधना में सहायक है रुद्राक्ष
पंडित उमेश मिश्रा ने बताया कि इसके अलावा रुद्राक्ष धारण करने से कई ग्रहों के अंतर्दशा और महादशा में भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इतना ही नहीं रुद्राक्ष ध्यान साधना में भी सहायक है. यह शरीर के चक्रों को संतुलित रखता है जिसस बीमारियां भी दूर होती हैं.
कितने प्रकार के होते हैं रुद्राक्ष
पंडित उमेश मिश्रा ने बताया कि रुद्राक्ष ब्लड प्रेशर और मानसिक तनाव को दूर रखने में भी बेहद कारगर होता है. इसलिए हर उम्र के लोग रुद्राक्ष धारण करते हैं .वैसे तो शिव महापुराण ग्रंथ में कुल 16 प्रकार के रूद्राक्ष बताएं गए है औऱ सभी के देवता, ग्रह, राशि एवं कार्य भी अलग-अलग बताएं गए हैं लेकिन 1 मुखी, 5 मुखी और 14 मुखी रुद्राक्ष सबसे ज्यादा प्रयोग में लाए जाते हैं.