पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप पर पेंसिलवेनिया में चुनावी रैली के दौरान हमला हो गया. ट्रंप जनसभा को संबोधित करने पहुंचे थे, तभी अचानक गोलियां चलने की आवाज सुनाई दी. वहां मौजूद अमेरिकी सीक्रेट सर्विस के एजेंट्स तुरंत हरकत में आए और उन्होंने ट्रंप को आनन-फानन में मंच से नीचे उतारा. इस दौरान ट्रंप के कान और चेहरे पर खून के निशान देखा जा सकते थे. सीक्रेट एजेंट्स ट्रंप को फौरन अस्पताल ले गए, जहां वह खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं.
लेकिन हर राजनेता डोनाल्ड ट्रंप की तरह किस्मत वाला नहीं होता है. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 1991 के आम चुनावों में एक जनसभा में आत्मघाती हमला कर हत्या कर दी गई थी. इसी तरह दो साल पहले 8 जुलाई को जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की नारा शहर में हत्या कर दी गई थी. शिंजो आबे भी एक चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे. शिंजो आबे को देश के नारा में एक रेलवे स्टेशन के सामने भाषण शुरू करने के कुछ मिनटों बाद एक हमलावर ने पीछे से गोली मार दी.
लिट्टे ने की थी राजीव की हत्या
राजीव गांधी की हत्या 21 मई 1991को आम चुनाव के दौरान तमिलनाडु के श्रीपेदम्बूदूर में हुई एक प्रचार सभा में हुए विस्फोट के कारण हुई थी. इस विस्फोट की साजिश लिट्टे ने रची थी और उनकी हत्या की जिम्मेदारी भी उसी ने ली थी. राजीव की हत्या मानव बम से की गई. हत्या के दो दिनों तक अंदाज नहीं था कि ये हत्या क्यों, कैसे और किसने की. दो दिनों की गहन जांच के बाद इसका पता लगा था. जिससे जाहिर हुआ था कि हत्या एक महिला ने की, जो मानव बम बनकर वहां आई थी.
राजीव सहित 18 लोगों की मौत
राजीव गांधी एक चुनावी रैली में हिस्सा ले रहे थे कि तभी धनु नाम की एक आत्मघाती हमलावर स्टेज पर चढ़ती है और जैसे ही वो राजीव को हार पहनाकर पैर छूने को झुकती है जोरदार धमाका होता है. उसने अपनी कमर में लगे बम का ट्रिगर दबाया. धमाके की गूंज से हर कोई सन्न रह जाता है. देखते ही देखते राजीव गांधी और उस हत्यारिन समेत 18 लोगों की पलक झपकते विस्फोट से मौत हो गई. 45 लोग गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं.
जूते और घड़ी से हुई पहचान
धमाके के बाद राजीव गांधी के शरीर के इतने टुकड़े होते हैं कि उनकी पहचान करना मुश्किल हो जाता है. राजीव के शव की पहचान उनके हाथ के टुकड़े पर लगी घड़ी और पैर के जूते से हुई. उनके सिर से मगज तक बाहर आ गया था, कुछ हिस्सों के तो चिथड़े उड़ गए थे.
कहां हैं अब राजीव के हत्यारे
अब आइए बात करते हैं कि राजीव गांधी के हत्यारों की. इस हत्याकांड में ट्रायल कोर्ट ने 26 दोषियों को मौत की सज़ा सुनाई थी. हालांकि मई 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने 19 लोगों को बरी कर दिया था. बचे हुए सात में से चार अभियुक्तों (नलिनी, मुरुगन उर्फ श्रीहरन, संथन और पेरारिवलन) को मृत्युदंड सुनाया गया और बाक़ी (रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार) को उम्र क़ैद की सजा मिली.